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Showing posts from July, 2012

जंतर मंतर

जोर किस बात का  शोर है रात का  ये भी गुजर  जायेगा शायद कुछ बदल जायेगा 

ग़लत ग़लती वहम

न कुछ गलत है , अगर आप ने समझा यही है तो आप की गलती है , वर्ना तो वहम ही था . याहे बगाहे हम तुम से कितनी बार टकराए होंगे , कभी नहीं देखा सोचा facebook पर कोशिश कर लूं , वहां भी जवाब नहीं दिया मेरी गलती थी क्योंकि उम्मीद कुछ ज्यादा ही हो गयी थी गलत नहीं थी मेरी कोशिश छोड़ो यार हमे वहम हो गया था